स्तब्ध मां भारती की आज है धरा एवं गगन, लता के रूप में खोया है आज एक रतन। स्तब्ध मां भारती की आज है धरा एवं गगन, लता के रूप में खोया है आज एक रतन।
शायद ही होगी तुम्हें उतनी फिक्र। शायद ही होगी तुम्हें उतनी फिक्र।
हमारी हर बात में वो है, हमारी हर बात में वो है,
सीधी राह उन्हें सिखाती सीधी राह उन्हें सिखाती
किंतु जब मैं ढलता हूँ, मुझे कोई नमन नहीं करता है, थके हुये मेरे तन को, कोई आर्ध्य नहीं देता, किंतु जब मैं ढलता हूँ, मुझे कोई नमन नहीं करता है, थके हुये मेरे तन को, कोई आर्ध...
निज सुख साधन सब छोड़ चले, भारत को प्रबल बनाने को, प्रत्याशा के दीप जला, अँधियारा सकल मिटाने को, वो पा... निज सुख साधन सब छोड़ चले, भारत को प्रबल बनाने को, प्रत्याशा के दीप जला, अँधियारा ...